about esophagus/stomach/cardia/fundus/pyloric sphincter/liver/gall-bladder/gall/bill of Biology in Hindi language from basic of all exam./10th/10+2th class
➤ भोजन नलिका ( Oesphagus)-
यह नली के समान होता है। यह मुख गुहा को आमाश्य से जोरता है। इसमें पाचन की क्रिया नहीं होती है। यह 22 cm से 25 cm लम्बा होती हैं।
➤अमाशय (Stomach)-
इसमें भोजन 4 घंटे तक रहता हैं। इसकी रचना थैली के समान रहती हैं।
अमाशय के तीन भाग होती है -
1) कार्डिएक -
यह ग्रासनली से ज़ुरा रहता है। इससे HCl निकलता है जो टायलिन तथा जीवाणु के प्रभाव को नष्ट कर देता हैं। यह भोजन को अम्लीय बना देता है और एंजाइम को अधिक शक्रिय कर देता हैं।
नोट- अधिक HCl निकलने पर पेट में छेद हो जाता है जिससे अल्सर नामक रोग हो जाता है।
लम्बे समय तक भूखे रहने पर HCl अमाशय की दिवालो को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे अल्सर की खतरा बढ़ जाता हैं।
2) फंडिक -
यह अमाशय के बिच वाला भाग है। इसमें काटेनुमा सरचना पाई जाती है जिसे रुजी कहते है। भूखे रहने पर रुजी खड़ा हो जाता है और चुभने लगता हैं।
3) पाइलोरिक-
यह अमाशय का अंतिम भाग होता है। इसमें जठर ग्रंथि (Gastric gland ) पाई जाती है। जठर ग्रंथि से जठर रस (Gastric gland) निकलता है। जठर रस में रेनिन तथा पेप्सिन पाया जाता है।
रेनिन दूध को पचाता है। यह दूध में उपस्थित केसिन प्रोटीन को कैल्शियम पारा कैसिनेट में बदल देता है जिस करण दूध दही बन जाता हैं।
पेप्सिन प्रोटीन को पचाने के लिए उसे पेपट्रोन में बदल देता है। दिन भर में औसतन भोजन छोटी आंत में जाता हैं। इस समय भोजन काइम का रूप ले चूका रहता हैं।
➤ यकृत ( Liver )-
यह सबसे बड़ी ग्रंथि होती है। यह पिट का निर्माण करती है। पिट एक नली के माध्यम से पित्ताशय में आकर जमा रहती हैं।
➤पित्ताशय ( Gall-Bladder )-
इसमें पिट जमा रहता है। यह यकृत के ठीक निचे पाया जाता है। यदि इसमें स्टोन बन जाता है तो वह ठीक नहीं होता है, जिस कारण गल्ल-ब्लैडर को काट कर निकाल दिया जाता हैं।
➤ पित ( Gall/Bill )-
पित पित्ताशय में बनता नहीं है बल्कि जमा रहता है। इसका स्रोत यकृत है। पित क्षारीय होता है। इसका PH मान 7.8 से 8.5 होता है। यह भोजन को क्षारीय बना देता है।
पित काइम में आए वसा को तोर देता है। पित एंजाइम न होते हुए भी पाचन का कार्य करता हैं।
By Prashant
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