about skeleton/bone/type of bone/axial/appendicular/bone cell/joint/muscular system of biology in Hindi language from basic of all exam.

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कंकाल (Skeleton )-

कंकाल हमे आंतरिक सहायता प्रदान करता है। इसी के कारण जीव-जंतु गति कर पाते हैं। 



कंकाल दो प्रकार का होता हैं -

1) वाहय कंकाल ( Exo-skeleton )-

यह शरीर के बाहर पाया जाता है तथा अत्यधिक कठोर होता है। यह शरीर को बाहरी आघात से बचाता हैं। कीटो में वाहय कंकाल पाया जाता हैं। जैसे- मक्खी, बिछु, केकरा, मच्छर, चिट्टी, घोघा, सिप, संख्य etc 

2) आंत्रिक कंकाल ( Edo-skeleton )-

यह शरीर के अंदर पाया जाता है। यह वाहय कंकाल के तुलना में कमजोर होता हैं। जैसे- मानव, कुत्ता, सियार, मच्छली, बंदर etc 

नोट- कछुआ में आंत्रिक तथा वाहय दोनों कंकाल पाय जाते हैं। 

Bone के दो भाग होते है-

1) उपास्थि ( Cartilege bone )-

यह मुलायम होता है क्योकि इसमें केवल कैल्सियम फास्फेट पाया जाता है। इसमें कैल्सियम कार्बोनेट नहीं पाया जाता हैं।

सभी बड़े हडियो के छोर (किनारे ) पर Cartilege bone पाया जाता हैं। जैसे- नाक, कान etc 

2) अस्थि या हड्डी ( Bone )-

अस्थि अत्यधिक कठोर होती हैं क्योकि इसमें कैल्सियम फास्फेट के साथ-साथ कैल्शियम कार्बोनेट भी पाया जाता हैं। 

हड्डीओं में 94 % से 98 % कैल्सियम फास्फेट होता है। फास्फोरस के कारण ही हड्डियों में आग पकरता है। 

अस्थिओं में ओसिन प्रोटीन पाया जाता है जबकि Cartilege bone में कॉन्ड्रिन प्रोटीन पाया जाता हैं। 

जनन के समय शिशु में 270 से 300 हड्डिया होती है। बाल्य आवस्था (12 वर्ष ) के आयु तक 208 अस्थिया होती हैं। अस्थियो का अधिकतम घनत्व 30 वर्ष के आयु में होता हैं। वयस्क मानव में 206 हड्डिया होती हैं। 

अस्थियो को दो भागो में बाटते है-

1) उपागी ( Appendiculer )-

यह शरीर के किनारे पर होती हैं। 

यह नाजुक अंगो को रक्षा प्रदान नहीं करती किन्तु चलने-फिरने तथा गति करने में सहायता प्रदान करती करती है।  इसकी कुल संख्या 126 होती हैं। 

 हाथ में अस्थियो की संख्या 30 होती है-

 हमुरज ( उर्गत बाहू ) - 1, रेडियस ( बाहु ) - 1, अलना ( बाहु) -1, कार्पल ( कलाई ) - 8, मेटा कार्प ( हथेली )- 5, फ्लेजिज ( ऊगली )- 14  

→ कुल = 1➕ 1➕  1 ➕ 8 ➕ 5 ➕ 14 = 30  ( दोनों हाथो में 30x2 = 60 ) 

  पैर में अस्थियो की संख्या 30 होती हैं-

फीमर (ऊरु ) - 1, पटेला - 1, टिबिया - 1, फिबुला - 1, टर्शल - 7, मेटा टर्शल -5, फ्लेजिज - 14 

 कुल = 1 ➕ 1 ➕ 1 ➕ 1 ➕ 7 ➕ 5 ➕ 14 = 30 ( दोनों पैर में 30x2 = 60 )

→ (पंख ) Scapula (अंश मेखला )- 2 

→ Calvic (श्रोणि ) - 2 

 Pelvic ( मेखला )- 2 

2) अक्षीय (Axial -

यह शरीर के बिच में पाया जाता है।  यह कोमल अंगो को सुरक्षा प्रदान करता है। इसकी संख्या 80 होती हैं। 

→ रीढ़ की हड्डी -

इसकी संख्या 26 होती है किन्तु जन्म के समय 33 रहती हैं। इसे कसेरू दंड, मेरु दण्ड, Vertibral colum , back bone कहते हैं। 

 रभस या पसली की संख्या 24 होता हैं। एक्सटनल एक(1)  होता है। इसमें रभस आकर जुट जाता हैं। 

 सिर में हड्डीओं की संख्या 29 होती हैं। चेहरा में 14, कान में 6, हाइड एक (1 ), कपाल या क्रेनियम में 8 होता हैं।

कान में तीन प्रकार की हड्डिया होती हैं-

A ) मेलियस  B ) इनकस  C ) स्टेप्स 

→ सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स , 

→ सबसे बड़ी हड्डी फीमर, खोखली हड्डी फीमर। 

→ सबसे चमकीली हड्डी टिबिया 

→ सबसे कमजोर हड्डी केल्विक 

→ सबसे मजबूत हड्डी जबरा 

हड्डी तथा मासपेशिया जहा मिलते है उसे टेंडम कहते है। जहा दो हड्डिया मिलती है उसे लिगामेंट कहते है। हड्डियों के जोर पर साइनोबियल नामक द्रव पाया जाता है। इसकी कमी से गठिया नामक रोग हो जाता हैं। 

अस्थि कोशिका ( Bone cell )-

अस्थियो में पाई जाने वाली कोशिका को अस्थि कोशिका कहते है। 

यह तीन प्रकार की होती है-

1) Osteo-clast -

यह टूटी-फूटी अस्थि कोशिकाओं को खाकर नस्ट करता है अतः इसे Bone eating cell कहते हैं। 

2) Osteo-blast-

यह अस्थि कोशिकाओ का निर्मणा करता हैं। 

3) Osteo-cyte-

परिपक को अस्थि कोशिकाओ को osteo cyte कहते हैं। 

संधि ( Joint )-

शरीर का वह स्थान जहा दो हड्डिया आपस में मिलती है वह संधि कहलाता हैं। 

संधि पर साइनोबियल द्रव तथा कार्टिलेज बोन उपस्थित रहता है। संधि वाले स्थान पर एक खोखला जगह पाया जाता है जिसे साइनोबियल गुहा कहा जाता हैं। 

यह तीन प्रकार की होती हैं -

1) अचल संधि ( Im-movable joint )-

यह संधि थोड़ा  भी गति नहीं करता जिस कारण इसे fixed  joint कहते है। इसमें रेशेदार संधि ( fibrous joint ) पाया जाता हैं। जैसे- खोपड़ी, दांत 

2) अपूर्ण संधि ( Slitghly movable )-

यह बहुत कम गति करता है।  जैसे- रभस तथा रीड की हड्डी 

3) पूर्ण संधि (Perfectly movable )-

यह सभी दिशाओ में घूम सकता है जिस कारण इसे freely movable भी कहते है। यह पांच प्रकार का होता हैं। 

A ) कन्दुक ख़लीक़ा ( Ball & Shocket )-

इसमें एक खोखला जगह होता है और एक गोल सरचना वाली हड्डी होती है। यह सभी दिशाओ में धूम सकती है। 

जैसे- Scapula ➕ हमुरज = हाथ , फीमर ➕ Pelvic = कमर 

B ) Saddle- 

यह Ball & shocket का ही एक छोटा रूप होता है किन्तु यह एक सिमा के अंदर ही गति करता हैं। जैसे- अंगूठा 

C ) Hing ( कब्जा )-

यह एक ही दिशा में गति प्रदान करता हैं। जैसे- घुटना तथा केहुनी 

D ) Pivote ( खुटी )- 

यह एक दूसरे के ऊपर रखी रहती है। इसकी आकृति खुटी के समान होती है।  जैसे- कशेरु दंड का ऊपरी तथा निचला भाग 

E ) Glidding joint- 

यह एक दूसरे के ऊपर फिसलता है और थोड़ी सी गति प्रदान करता है। जैसे- कलाई, हथेली, तलवा (पैर का ) etc 

मांसपेशिया ( Muscular System )-

यह शरीर में त्वचा के निचे तथा हड्डी के ऊपर पाई जाती है। 

मांसपेशिया शरीर को सुंदर आकार एव आकृति प्रदान करती है। शरीर में 639 मांसपेशिया होती हैं। सबसे बड़ी मांपेशिया सरटोरिस (जांघ की ) होती है। सबसे छोटी मांसपेशी स्टेपिड्स ( कान की ) होती हैं। 

मांसपेशी में ऑक्सीजन के कमी के कारण Lattic acid जमा हो जाता है जिससे की थकावट होती हैं। मांसपेशिया में मायोसीन नामक प्रोटीन पाया जाता है। एक मांसपेशी दूसरे मांसपेशी से Selexor नामक उत्तक द्वारा जुड़ी रहती हैं। 

मांसपेशिया तीन प्रकार की होती हैं-

1) ऐक्षिक मांसपेशी ( Voluntary muscular )-

ये मांसपेशिया हमारे इक्षा अनुसार कार्य करती है यह हमारे कंकाल से जुड़ी रहती है जिस कारण हमारे इक्षा अनुसार कार्य करती हैं। इनमें लाइट बैंड तथा डार्क बैंड पाया जाता हैं। 

2) अनऐक्षिक मांसपेशी ( Un-voluntary muscular )- 

ये हमारे इक्षा अनुसार कार्य नहीं करती क्योकि यह कंकाल से जुड़ी नहीं रहती हैं। इसमें लाइट बैंड तथा डार्क बैंड नहीं होता हैं। जैसे- आमाश्य, यकृत etc 

3) ह्दयक मांसपेशी ( Cardiac muscular )-

यह भी एक अनऐक्षिक पेशिया है किन्तु केवल ह्दय में पाई जाती हैं। 

नोट- Flaxor नामक मांसपेशिया के कारण मांसपेशिया सिकुड़ने लगती है। Extenson नामक मांसपेशिया के कारण मांसपेशिया फैलने लगती हैं। 


By Prashant

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