about शवसन मार्ग/डायफ्राम/Diaphragm/नाशा-छिद्र/नाशा कपाट/Pharynx/Larynx/Trachea /Broncheales /Alveoli /Blood /Cell /Mitrochendria from basic for all exam./10th/12th class

 

शवसन मार्ग-

स्वशन के दौरान वायु जिस मार्ग से होकर गुजरती है उस मार्ग को स्वशन मार्ग कहा जाता है। 

1) नाशा-छिद्र  2) नाशा कपाट  3) Pharynx  4) Larynx  5) Trachea  6) Bronchi 
7) Broncheales  8) Alveoli  9) Blood  10) Cell  11) Mitrochendria 

➤ डायफ्राम ( Diaphragm )-

यह लंग्स के निचे पाया जाता है। यह संयोजी उत्तक का बना होता है। 
निः स्वशन में यह सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
स्वशन में 75 % योगदान डायफ्राम का होता है। गर्भा आवस्था में निः स्वशन का कार्य पसली ( रिभ ) करती है। 
Accident के दौरान डायफ्राम टूटने पर मृत्यु हो जाती है। 

➤ नाशा छिद्र- 

यह नाक का अगला भाग होता है। इसके द्वारा वायु अंदर जाती है। इसमें बाल पाए जाते है जो धूल-कण को रोक देते हैं। 

➤नाशा कपाट-

यह नाक का पिछला भाग होता है। इसमें मियुक्स होता है जो धूल-कण को चिपका लेता है। 
यहां Olfactory lobe होता है जो सूंघने (Smell) का कार्य करता है। सर्दी के समय यह थक जाता है जिस कारण स्मेल नहीं मिल पाता है। 

➤ग्रसनी ( Pharynx )-

यह मुख का पिछला भाग होता है। यहां भोजन तथा वायु दोनों आते है। यह Larynx तथा Oesophagus दोनों से ज़ुरा रहता है। 
नोट- Pharynx Oesophagus से निगल द्वार द्वारा ज़ुरा रहता है जबकि Larynx से शास नली द्वारा ज़ुरा रहता है। 

➤स्वरतंत्र ( Larynx )-

यह  Pharynx के निचे पाया जाता है। यह आवाज निकालता है जिस कारण इसे Voice Box कहा जाता है। 
पक्षियों में यह कार्य Sarynx करता है। 
Larynx के ऊपरी भाग पर एक कपाट (दक्कन) पाया है जिसे इपीग्लॉटिक्स कहते हैं। 

जब हम भोजन करते है तो इपीग्लॉटिक्स बंद हो जाता है जिससे की वे पदार्थ सांस नली में नहीं जा पाता है किन्तु यदि इपीग्लॉटिक्स खुला रह गया तो भोजन सांस नली में चला जाता है और हमे हिचकी या भोजन सरक जाता है। 
इपीग्लोटिसक को नियंत्रित करने का कार्य मेड्यूला आबलांगता करता है। 

➤फेफ़ड़ा ( Lungs )-


मानव में इसकी संख्या दो होती है। दाहिना फेफ़ड़ा बड़ा होता है। 
फेफ़ड़ा को फुसफुस तथा Pulmunary भी कहते है। फेफ़ड़ा प्लुरला Membrance नामक झिली से ढका रहता है। 
फेफ़ड़ा मुख्य स्वशन अंग है। 
फेफ़ड़ा रक्त में ऑक्सीजन मिला देता है जिससे की रक्त शुद्ध हो जाता है। इसे रक्त का शुद्धिकरण कहते है। 

नोट- रक्त की गंदगी को निकालना रक्त का छानना कहलाता है। यह कार्य वृक/किडनी करता है। 

➤स्वशन नली ( Trachea )-

यह एक नली नुमा रचना होती है। यह हाइलीन Cartilage द्वारा सुरक्षित रहता है। यह आगे जाकर ब्रोम्काई में बट जाता है। 
ब्रोम्काई आगे जाकर कई छोटे-छोटे ब्रोन्कियोलेस में बट जाती है। 

➤वायुकोष्टक ( Alveoli )-

यह ब्रोन्कियोलेस के सिरे पर गुच्छे नुमे रचना होती है। निमोनिया के समय यह जाम हो जाती है। 
Alveoli में रक्त कोशिकाय होती है जिसमे रक्त पाया जाता है। रक्त के अंदर हिमगोलबीन (HB ) पाया जाता है। 
Alveoli हिमगोलोबिन के अंदर ऑक्सीजन मिला देता है जिस कारण हिमोगोलोबिन ऑक्सी-हिमोगोलोबिन बन जाता है। 
यह ऑक्सी-हिमोगोलोबिन कोशिकाओं में पहुंचकर ऑक्सीजन दे देता है। यह ऑक्सीजन ग्लूकोज़ को तोर देता है जिससे CO₂ गैस निकलती है। 
हिमोगोलोबिन CO₂ को बांध लेता है जिस कारण वह कार्बोक्सी हिमोगोलोबिन बन जाता है और यह पुनः Alveoli 
तक आता है और Alveoli में CO₂ छोर देता है। 
जब हम सांस छोड़ते है तो यह CO₂ बाहर निकल जाता है और यह क्रिया चलती रहती है। 

नोट- ब्यस्क मानव 1 मिनट में 14 से 18 बार सांस लेता है जबकि एक बच्चा 1 मिनट 29 बार सांस लेता है। 

➨ Tidal Volume-

एक बार में जितनी वायु सांस के रूप में ली जाती है उसे tidal volume कहते है। Tidal Volume 500 ml होता है। 

➨ Total Lungs Capacity-

एक बार में अधिकतम ली गई सांस की मात्रा को total lungs capacity कहते है। 
Total lungs capacity 6 lit. होता है। 

नोट- Total volume total lungs capacity का 8 % होता है। 

नोट- जब सांस लेने में परेशानी होती है तो उसे कृत्रिम सांस दिया जाता है जिसे Vendiliter कहते है। Vendiliter वाले ऑक्सीजन के सिलिंडर में ऑक्सीजन के साथ हीलियम मिलाया जाता है। 
अधिक गहराई पर जाने वाला गोताखोर ऑक्सीजन के साथ हीलियम मिलाता है जबकि कम गहराई पर जाने वाला गोताखोर ऑक्सीजन के साथ नाइट्रोजन मिलाता है। 

➤ कोशिकीय स्वशन -

यह कोशिका के अंदर होता है। यह एक जटिल क्रिया है। इसके द्वारा भोजन के द्वारा बना ग्लूकोज टूटता है और हमे ऊर्जा प्राप्त होती है। 
कोशिकीय स्वशन के दो भाग होते है-

1) कोशिका द्रव-

यहां ऑक्सीजन के अनुपस्थिति में स्वसन होता है अतः इसे अनाक्सी स्वशन कहते है। 
अंकुरित बीज, जीवाणु, ईस्ट में आनक्सी स्वशन होता है। 
अनाक्सी स्वशन के दौरान 4 ATP का निर्माण होता है किन्तु 2 ATP ग्लूकोज को तोरने में (ग्लाइकोलाइसिस) खर्च हो जाता है और 2 ATP का लाभ हो जाता है। 
एक ग्लूकोज टूटकर दो पाइरुविक अम्ल बना लेता है। इस प्रकार कोशिका द्रव में स्वशन पूर्ण हो जाता है। 

2) मैट्रोकॉंड्रिया -

यह ऑक्सीजन के उपस्थित में होता है अतः इसे अक्सी-स्वशन कहते है। 
ग्लाइकोलाइसिस के दौरान बना 2 पाइरुविक अम्ल मैट्रोकॉंड्रिया में आता है जहा ऑक्सीजन के उपस्थिति में क्रेब्स चक्र चलता है और पाइरुविक अम्ल का टूटना होता है। 
एक पाइरुविक अम्ल के टूटने से 18 ATP बनते है अतः दो पाइरुविक अम्ल के टूटने से 36 ATP का निर्माण होता है। 
इस प्रकार कोशिकीय स्वशन के दौरान 38 ATP बनते है। 38 ATP मिलकर एक ग्लूकोज का निर्माण करते है और हमे ऊर्जा मिलती है। 

➤ स्वासनीय पदार्थ- 

वैसे पदार्थ जिनके कोशिकीय स्वशन (टूटना ) से ऊर्जा प्राप्त होती है स्वसनीय पदार्थ कहलाता है। 

Carbohydrated > Fat > Protein 

नोट- फेफ़ड़ा में होने वाले स्वशन को वाहय स्वशन कहते है। जबकि कोशिका में होने वाले स्वाशन को आंत्रिक स्वाशन कहते है। 


By Prashant

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