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Showing posts from December, 2022

about Blood /रक्त/प्लाज्मा/सेरम/Serum/रुधिराणु/Corpuscles of Biology special for railway/ssc/other exam. from basic for 10th/12th class

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  ➤Blood (रक्त )- यह एक प्राकृति collide है। यह सयोजी उत्तक का बना होता है। इसकी प्रकृति क्षारीय होती है। इसका PH मान 7.4 होता है।  स्वच्थ मनुष्य में 5 लीटर से 5.5 लीटर रक्त पाया जाता है, जो शरीर के कुल भार का 7% होता है।  महिलाओ में पुरुष की तुलना में 500 लीटर कम रक्त होता है।  रक्त पोषक पदार्थ तथा गैसों का परिवहन करता है।  भ्रूण आवस्था में रक्त का निर्माण यकृत के मिसोडर्म में होता है।  वयस्क मानव में रक्त का निर्माण असथिज्म में होता है।  प्लीहा/तिल्ली/spleen को Blood Bank कहते है।  रक्त परिसचरण की खोज विलियम हार्वे ने किया।  रक्त में कॉलस्ट्रॉल का स्तर 180g से 200g तक होता है।  ➤ रक्त में दो प्रकार का रक्त होता है- १) प्लाज्मा (60 %)  2) रुधिराणु (40 %) रुधिराणु को तीन भाग में रखते है- 1) RBC  2 ) WBC  3 ) प्लेटलेट  1) प्लाज्मा - यह रक्त का 60 % भाग होता है। इसमें 90 % जल पाया जाता है तथा शेष 10 % भाग में प्रोटीन तथा कार्बोहायड्रेट होते है।  प्लाज्मा के अंदर फाइब्रिनोजेन नामक प्रोटीन पाया जाता है।  ➨सेरम (Serum)- जब प्लाज्मा में से फाइब्रिनोजेन को निकाल दिया जाता है तो सीरम बचता है। 

about Heart/chember of heart/ह्दय के कोष्टक/अलिंद/atrium/auricle/निलय/ventricle/ह्दय में रक्त का मार्ग/रक्त चाप/BP/blood pressure/Systolic Pressure/Di-stolic Pressure from basic for all exam./10th/12th class of Biology

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  ➤ HEART- ह्दय हिद्रयक पेशियों का बना होता है। यह पेरीकार्डियम नामक झिली में ढका होता है। इसका आकार शंकुआकार होता है।  यह वक्ष गुहा (छाती) में हल्का वाई ओर होता है। यह रक्त को कम करने का कार्य करता है। ह्दय का भार 300g  होता है।  ➤ह्दय के कोष्टक ( Chember of Heart )- ह्दय के अंदर के खोखले भाग को चैम्बर कहते है।  ➤अलिंद ( Atrium/Auricle )- यह ह्दय का ऊपरी भाग होता है। शरीर से आने वाला अशुद्ध रक्त अलिंद के माध्यम से ह्दय में प्रवेश करता है।  ➤ निलय ( Ventricle )- यह ह्दय का निचला भाग होता है। यह शुद्ध रक्त को पुरे शरीर में पम्प करता है।  मछली में दो चैम्बर वाले ह्दय होता है।  उभयचर जैसे मेढ़क, सरीसृप आदि में तीन चैम्बर वाला ह्दय पाया जाता है।  स्तनधारी तथा पक्षी में 4 चैम्बर वाला ह्दय पाया जाता है।  नोट-  तेलचटा में 13 चैम्बर वाला ह्दय पाया जाता है।  नोट - वैसे जीव जिनके शरीर का तापमान वतावरण के अनुसार बदलता रहता है उसे विषम तापी या शीत रक्त ( Cold Blooded ) जिव कहते है। जैसे- मछली, मेढ़क, झिपकली।  इनका ह्दय दो या तीन चैम्बर वाला होता है।  वैसे जीव जिनके शरीर का तापमान वतावरण के अनुसार नह

about परिसंचरण तंत्र/Circulatory System/ Open Circulatory System/Close Circulatory System/Mixed Circulatory System/रक्त वाहनी/Blood Vessel/धमनी/Artery/शिरा/शिरा from basic for all exam./10th/12th class

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  ➤परिसंचरण तंत्र ( Circulatory System )- शरीर में विभिन्न पदार्थ जैसे ऑक्सीजन, कार्बनडाइऑक्साइड, पोशक पदार्थ के परिवहन के लिए जिस तंत्र की आवश्यकता होती है उसे परिसंचरण तंत्र कहते है।  मानव शरीर में परिसंचरण का मुख्य कार्य रक्त तथा लासिका करती है।  रक्त परिसंचरण की तीन बिधि होती है- 1) Open Circulatory System- इसमें रक्त बिना किसी Pressure के आगे बढ़ता है। इसमें नली (duct) नहीं होता है।  जैसे- घोघा, तेलचटा आदि  2) Close Circulatory System- इसमें रक्त एक Pressure के साथ आगे बढ़ता है। इसमें नली या duct पाया जाता है।  जैसे- स्तनधारी, केचुआ आदि  3) Mixed Circulatory System- इसमें ह्दय कभी रक्त को कम करता है तो कभी नहीं करता है।  जैसे- मेढ़क, मछली आदि  ➤रक्त वाहनी ( Blood Vessel )- जिन नली से रक्त प्रवाहित होती है उन्हें रक्त वाहनी कहते है।  यह दो प्रकार की होती है- 1) धमनी ( Artery )- यह शरीर में अधिक गहराई पर होता है। इसमें प्रेशर तथा स्पीड दोनों अधिक होता है।  इसकी दीवाले मोटी तथा लाल होती है। इसमें कपाट या दरवाजा नहीं पाया जाता है। यह रक्त को ह्दय से शरीर के अंगो तक ले जाता है। इसमें शुद्

about शवसन मार्ग/डायफ्राम/Diaphragm/नाशा-छिद्र/नाशा कपाट/Pharynx/Larynx/Trachea /Broncheales /Alveoli /Blood /Cell /Mitrochendria from basic for all exam./10th/12th class

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  शवसन मार्ग- स्वशन के दौरान वायु जिस मार्ग से होकर गुजरती है उस मार्ग को स्वशन मार्ग कहा जाता है।  1) नाशा-छिद्र  2) नाशा कपाट  3) Pharynx  4) Larynx  5) Trachea  6) Bronchi  7) Broncheales  8) Alveoli  9) Blood  10) Cell  11) Mitrochendria  ➤ डायफ्राम ( Diaphragm )- यह लंग्स के निचे पाया जाता है। यह संयोजी उत्तक का बना होता है।  निः स्वशन में यह सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।  स्वशन में 75 % योगदान डायफ्राम का होता है। गर्भा आवस्था में निः स्वशन का कार्य पसली ( रिभ ) करती है।  Accident के दौरान डायफ्राम टूटने पर मृत्यु हो जाती है।  ➤ नाशा छिद्र-  यह नाक का अगला भाग होता है। इसके द्वारा वायु अंदर जाती है। इसमें बाल पाए जाते है जो धूल-कण को रोक देते हैं।  ➤नाशा कपाट- यह नाक का पिछला भाग होता है। इसमें मियुक्स होता है जो धूल-कण को चिपका लेता है।  यहां Olfactory lobe होता है जो सूंघने (Smell) का कार्य करता है। सर्दी के समय यह थक जाता है जिस कारण स्मेल नहीं मिल पाता है।  ➤ग्रसनी ( Pharynx )- यह मुख का पिछला भाग होता है। यहां भोजन तथा वायु दोनों आते है। यह Larynx तथा Oesophagus दोनों से

about शवासन तंत्र/Respiratory System/शवासोच्छ्वास/Breathing/Inspiration/Expiration/निः शवसन/स्वसन अंग from basic for all exam./10th/12th class of Biology

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➤शवासन तंत्र ( Respiratory System )-  शवाशन एक जटिल क्रिया है। इसमें ऑक्सीजन शरीर के अंदर जाता है जिसके फ़लस्वरुप ग्लूकोज़ ( CO₂ ) तथा H₂O तथा उष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है।  C₆H₁₂O₆ + 6O₂ → 6CO₂ + 6H₂O + 686 (ऊर्जा) शवासन एक ऑक्सीडेशन की क्रिया है। इसमें उष्मीय ऊर्जा निकलती है, यही कारण है की मृत्यु के बाद शरीर ठंडा पर जाता है।  शवासन एक प्रकार का काटाबोली (टूटने वाला) या अपचयी क्रिया है।  शवाशन एक मंद दहन होता है।  एक मिनट में ब्यक्ति 14 से 18 बार शास लेता है।  ➤शवासोच्छ्वास ( Breathing )- सांस छोड़ने तथा ग्रहण करने को breathing कहते है।  यह दो प्रकार का होता है। 1) Inspiration- सांस अंदर लेना Inspiration कहलाता है।  इसके द्वारा हम निम्नलिखित गैसों को ग्रहण करते है- O₂ = 21 % CO₂ = 0.03 % N₂ = 78 % 2) Expiration (  निः शवसन )- इसके द्वारा हम सांस को बाहर छोड़ते है और निम्नलिखित गैसों को निकालते है- O₂ = 17 % CO₂ = 4.6 % N₂ = 78 % ➤स्वसन अंग- वैसे अंग जो स्वशन की क्रिया में भाग लेते है वे स्वशन अंग कहलाते है।  यह अलग-अलग जीवो में अलग-अलग होता है- मानव में फेफ़ड़ा ( Lungs ) द्वारा,  बिच्छू मे

about large intestine/cecum/colon/rectum/function of digestive system of Biology in Hindi language from basic for all exam./10th/10+2th class

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  Click here for Physics बड़ी आंत ( Large Intestine )- इसमें भोजन का पाचन नहीं होता, इसमें जल का अवशोसन होता है।  इसका तीन भाग होता है- 1) सिकम- यह एक गोल सरचना होती है। इससे इलियम ज़ुरा रहता हैं। इसके निचे Appendix पाया जाता है जो सेलुलोज का पाचन करता हैं। यह शाकाहारी जानवरो में लम्बा होता है।  नोट-  Appendix एक अवशेषी अंग ( Vestigial ) है, क्योकि यह शरीर में रहता है और कोई काम नहीं करता है। शरीर में 100 से अधिक अवशेषी अंग है। जैसे- कर्णप्लल्व ( Pinna ), Pre-molar, तथा Third Molar  जानवर सेलुलोज को पचा लेते है किन्तु सूअर सेलुलोज को नहीं पचा पता हैं।  2) कोलोन- कोलोन में जल का अवशोशण तथा मियूक्स का निर्माण होता है।  इसका चार भाग होता हैं- A ) Asscending कोलोन  B ) Transverse कोलोन  C ) Decending कोलोन  D ) Segmoride  3) मलाशय ( Rectum )- मलाशय में अनपचा आकर जमा रहता है और Anus ( गुदा ) के माध्यम से बाहर हो जाता हैं।  पाचन की क्रिया जल अपघटन ( Hydrolysis ) क्रिया हैं।  ➤ पाचन की क्रिया की पांच चरण होते हैं- 1) अंत ग्रहण ( Injection )-  भोजन को ग्रहण करना अथार्त निगलने की क्रिया Injection

about small intestine/duodenum/jejunum/IIeum etc of Biology in Hindi language from basic for all exam./10th/10+2th class

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Click here for Physics ➤छोटी आंत (Small Intestine)- यह पाचन का सबसे मुख्य अंग है। यहां पाचन की क्रिया पूर्ण हो जाती है।  इसकी तीन भाग होता हैं- 1) Duedenum  2) Jenunum  3) Ielleum  1) ग्रहणी ( Duedenum )- भोजन (काइम) आमशय के बाद ग्रहणी में आता है। यहां उसमे पित मिल जाता है जिससे भोजन (काइम) क्षारीय हो जाता है छोटी आंत के इस भाग से एन्जाईम न निकलकर Harnone निकलते हैं।  ➨कॉलेसिस्टॉकिनिन - यह Harmone पित्ताशय को पित छोड़ने के लिए प्रेरित करता है ताकि भोजन क्षारीय हो सके।  ➨सेक्रेटिन- यह Harmone अगनाशय को पाचक एंजाइम छोड़ने के लिए उत्तेजित करता है।  नोट- अगनाशय से तीन प्रकार के एंजाइम निकलते है जिन्हे संयुक्त रूप से पूर्ण पाचक एंजाइम कहते है क्योकि यह भोजन के सभी अवयव को पचा देता है। इससे लाइपेज, एमाइलेज तथा ट्रिप्सिन निकलता है।  ➨लाइपेज - यह पित्ताशय द्वारा पायसीकृत ( इमल्सीफाइड या टुटा हुआ ) वसा को पचाकर गरिसरॉल तथा वसीय अम्ल में बदल देता है।  ➨एमाइलेज - यह स्टार्च ( शकरा ) को पचाता है।  ➨ट्रिप्सिन- यह प्रोटीन ( पेप्टोन ) को पेप्टाइड में बदल देता है।  Duedenum के बाद भोजन Jejunum को होते ह

about esophagus/stomach/cardia/fundus/pyloric sphincter/liver/gall-bladder/gall/bill of Biology in Hindi language from basic of all exam./10th/10+2th class

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click here for Physics   ➤ भोजन नलिका ( Oesphagus)- यह नली के समान होता है। यह मुख गुहा को आमाश्य से जोरता है। इसमें पाचन की क्रिया नहीं होती है। यह 22 cm से 25 cm लम्बा होती हैं।  ➤अमाशय (Stomach)- इसमें भोजन 4 घंटे तक रहता हैं। इसकी रचना थैली के समान रहती हैं।  अमाशय के तीन भाग होती है - 1) कार्डिएक - यह ग्रासनली से ज़ुरा रहता है। इससे HCl निकलता है जो टायलिन तथा जीवाणु के प्रभाव को नष्ट कर देता हैं। यह भोजन को अम्लीय बना देता है और एंजाइम को अधिक शक्रिय कर देता हैं।  नोट-  अधिक HCl निकलने पर पेट में छेद हो जाता है जिससे अल्सर नामक रोग हो जाता है।  लम्बे समय तक भूखे रहने पर HCl अमाशय की दिवालो को क्षतिग्रस्त कर देता है जिससे अल्सर की खतरा बढ़ जाता हैं।  2) फंडिक - यह अमाशय के बिच वाला भाग है। इसमें काटेनुमा सरचना पाई जाती है जिसे रुजी कहते है। भूखे रहने पर रुजी खड़ा हो जाता है और चुभने लगता हैं।  3) पाइलोरिक- यह अमाशय का अंतिम भाग होता है। इसमें जठर ग्रंथि (Gastric gland ) पाई जाती है। जठर ग्रंथि से जठर रस (Gastric gland) निकलता है। जठर रस में रेनिन तथा पेप्सिन पाया जाता है।  रेनिन दूध

about Teeth/diphydont/mono-phyodont/Incisors/canine/pre-molar/molar and dental formula of biology in Hindi language for all exam. from basic

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  click here for Physics दाँत  (Teeth )- दाँत का अध्ययन ओडोन्टोलॉजी कहलाता है। दाँत में सर्वाधिक पाय जाने वाला तत्व कैल्शियम फास्फेट (85 %), कैल्शियम कार्बोनेट ( 10 %), कैल्शियम क्लोराइड ( 5 %) पाया जाता हैं।  दाँत के दो परत होते है- बहरी परत को इनामेल कहते है। आंत्रिक परत को डेन्टाइन कहते है।  इनामेल शरीर का सबसे कठोर भाग है। यह कैल्शियम फॉस्फेट का बना होता हैं।  दाँत को दो भागो में बाटते है-  1) डाई-फियोडान्ट ( Diphyodont )- ये दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं। इसे दूध की दाँत भी कहते हैं। इसकी संख्या 20 होती है।  2) मोनो-फ्योडोन्ट ( Mono-phyodont )- ये दाँत जीवन में एक बार निकलते है और टूटने के बाद दुबरा नहीं जमते है। जैसे- Wisdom teeth  ➤कृंतक (Incisors 8 )-  यह भोजन को काटने के काम में आता है। यह नाक के निचे पाया जाता है। अतः इसे Nose teeth भी कहते हैं।  यह शाकाहारी जानवरो में चौरा होता हैं।  ➤ स्रवदंत ( Canine 4)- यह भोजन को फाड़ने के काम में आता है। यह आँख के निचे पाया जाता है , अतः इसे Eye teeth कहते है।  यह मांसहारी जनवरो में लम्बा होता हैं।  ➤अर्ग-चवर्णक ( Pre-Molar,8 )- यह भोज

about digestive system/elementary canal/digestive gland/salivary gland of biology in Hindi language for all exam. from basic

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click here for Physics   पाचन तंत्र ( Digestive System )- अंगो के वैसे समूह जो पाचन के क्रिया में भाग लेते है पाचन तंत्र कहलाता हैं।  पाचन एक जटिल क्रिया है जिसमे कार्बनिक पदार्थ टूटकर छोटे-छोटे भागो में बट जाते है।  पाचन तंत्र के दो भाग होते है-  1) आहार नाल ( Elementary Canal )- यह मुख गुहा से प्रारम्भ होता है और गुदा ( Anas ) तक जाता हैं।  पाचन के समय भोजन इसी रास्ते में रहता है। आहार नाल की लम्बाई लगभग 32 फिट रहती है।  आहार नाल में मुख गुहा, ग्रासनली, आमाश्य, छोटी आंत, बड़ी आंत तथा गुदा आते हैं।  2) पाचन ग्रंथि ( Digestive gland )- यह आहार नाल से जुड़ी रहती है। इसमें Engyme निकलता है जो भोजन के पाचन में मदद करती है।  जैसे-  लार ग्रंथि, यकृत, अग्नाशय, पित्ताशय  पाचन की क्रिया मुख गुहा से प्रारम्भ हो जाती है। सर्वाधिक समय तक भोजन अमाशय ( पेट ) में रहता है। (लगभग 4 घंटा ) छोटी आंत में पाचन का कार्य पूर्ण हो जाता हैं। बड़ी आंत में जल का अवशोसन ( Absorption ) होता हैं।  ➤ लार ग्रंथि ( Salivary gland )- यह मानव के मुख में पाया जाता है।   यह तीन जोड़ी होती हैं- 1) Parotid gland  2) Submaxilla

about skeleton/bone/type of bone/axial/appendicular/bone cell/joint/muscular system of biology in Hindi language from basic of all exam.

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  click here for Physics कंकाल (Skeleton )- कंकाल हमे आंतरिक सहायता प्रदान करता है। इसी के कारण जीव-जंतु गति कर पाते हैं।  कंकाल दो प्रकार का होता हैं - 1) वाहय कंकाल ( Exo-skeleton )- यह शरीर के बाहर पाया जाता है तथा अत्यधिक कठोर होता है। यह शरीर को बाहरी आघात से बचाता हैं। कीटो में वाहय कंकाल पाया जाता हैं। जैसे- मक्खी, बिछु, केकरा, मच्छर, चिट्टी, घोघा, सिप, संख्य etc  2) आंत्रिक कंकाल ( Edo-skeleton )- यह शरीर के अंदर पाया जाता है। यह वाहय कंकाल के तुलना में कमजोर होता हैं। जैसे- मानव, कुत्ता, सियार, मच्छली, बंदर etc  नोट- कछुआ में आंत्रिक तथा वाहय दोनों कंकाल पाय जाते हैं।  Bone के दो भाग होते है- 1) उपास्थि ( Cartilege bone )- यह मुलायम होता है क्योकि इसमें केवल कैल्सियम फास्फेट पाया जाता है। इसमें कैल्सियम कार्बोनेट नहीं पाया जाता हैं। सभी बड़े हडियो के छोर (किनारे ) पर Cartilege bone पाया जाता हैं। जैसे- नाक, कान etc  2) अस्थि या हड्डी ( Bone )- अस्थि अत्यधिक कठोर होती हैं क्योकि इसमें कैल्सियम फास्फेट के साथ-साथ कैल्शियम कार्बोनेट भी पाया जाता हैं।  हड्डीओं में 94 % से 98 % कैल्

about tissue/connective tissue/nervous tissue/muscle tissue/epithelial tissue of biology for all exam. from basic in Hindi language

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click here for Physics   उत्तक ( Tissue )- सामान्य कोशिकाओ के समूह को उत्तक कहते हैं। उत्तक का अध्ययन हिस्टोलोजी कहलाता हैं। हिस्टोलोजी के जनक माल गिली थे।  उत्तक का विकास सर्वप्रथम सिलिन्डेन्ट्रा संघ के जीवो में हुआ था।  उत्तक चार प्रकार का होता हैं - 1) संयोजी उत्तक( Connective tissue)- यह उत्तक शरीर के अंगो को जोड़े रहता है।  जैसे- Blood, लासिका  2) तांत्रिका उत्तक ( Nervous tissue )- इस उत्तक का तांत्रिका लम्बा होता है अथार्त मस्तिक का निर्माण यही करती है। यह सूचनाओं का आदान-प्रदान करती हैं।  3) पेशिय उत्तक ( Muscle tissue )- यह शरीर को सुंदरता तथा सुरक्षा प्रदान करता हैं। इससे शरीर की मश्पेशिया बनी होती हैं।  4) उपकला उत्तक ( Epithelial tissue )- इसका तव्चा बना होता है अथार्त यह सबसे बाहरी उत्तक होता हैं।  नोट-  एडिपोज उत्तक (तंतु ) का कार्य मुख्य रूप से वसा को संचित रखना हैं।  By Prashant

about cell division/amitosis division/meiosis division/mitosis division/inter-phase/pro-phase/meta-phase/ana-phase/telo-phase/syndroum/ of biology for all exam. from basic in hindi language

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click here for Physics   कोशिका विभाजन ( Cell Division)- जन्तुओ में कोशिका विभाजन सेंट्रो-सोम के द्वारा होता हैं जबकि पादपों में कोशिका विभाजन सेल-प्लेट के द्वारा होता हैं।  एक कोशिका का टूटकर दो या दो से अधिक कोशिका का निर्माण करना कोशिका विभाजन कहलाता हैं। जो कोशिका टूटती है उसे मदर सेल (मात्रि कोशिका) कहते हैं और विभाजन के फ़लस्वरुप बनी नयी कोशिका को डॉटर सेल ( पुत्री कोशिका ) कहते हैं।  कोशिका विभाजन तीन प्रकार का होता हैं - 1) असूत्री विभाजन  2) अर्धसूत्री विभाजन  3) समसूत्री विभाजन  1) असूत्री विभाजन ( Amitosis division )- यह विभाजन बहुत छोटे जीव जैसे- शैवाल, इस्ट, खमीर, तथा प्रोकैर्योटिक में पाया जाता हैं।  इस प्रकार के विभाजन में मात्रिक कोशिका का आकार बढ़ने लगते है और आगे चलकर वह बिच से संकुचित होना प्रारम्भ हो जाता है जिस कारण केंद्र भी संकुचित होने लगता है और अतः कोशिका दो भागो में बट जाती हैं।  2) अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis division )- यह विभाजन केवल जनन कोशिका ( Sparm ➕ Ovam ) में होता है। इसमें एक मात्रि कोशिका टूटकर चार पुत्री कोशिका का निर्माण करती हैं।  इसमें क्रोमोजोम क